मौन तीर्थ हिन्दी विद्यापीठ उज्जैन द्वारा वेद महामहोपाध्याय की मानद उपाधि से सम्मानित हुए डॉ विद्यासागर उपाध्याय

मौन तीर्थ हिन्दी विद्यापीठ उज्जैन द्वारा आयोजित 115 वें श्रद्धा पर्व और सम्मान समारोह में देश के प्रतिष्ठित विद्वानों की उपस्थिति में ख्यातिलब्ध शिक्षाविद और ग्रंथकार डॉ विद्यासागर उपाध्याय को उनके भारतीय दर्शन के प्रति अमूल्य योगदान,संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति के विकास के प्रति प्रतिबद्धता,देश विदेश में दिए गए विद्वतापूर्ण व्याख्यान, प्रस्थानत्रय का लोकभाषा में प्रसार तथा राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के मूल्यांकन के आधार पर वेद महामहोपाध्याय की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया। हिन्दी विद्यापीठ के विशाल सभागार में वेदपाठी बटुकों,आचार्यों,विख्यात संतों की गरिमामय उपस्थिति में पीठ के परमाध्‍यक्ष एवं पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महामण्‍डलेश्‍वर ब्रह्मनिष्‍ठ श्रोत्रिय अनंतश्री विभूषित श्रीश्री 1008 महामण्‍डलेश्‍वर स्‍वामी डॉ. सुमनानंद गिरि जी महाराज, उतिष्‍ठ भारत के संस्‍थापक राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष योगाचार्य महंतश्री सुधाकर पुरी जी महाराज, महर्षि पाणिनी संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय उज्‍जैन के कुलपति श्री सी.जे. विजयकुमार मेनन, विक्रम विश्‍वविद्यालय उज्‍जैन के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्‍द्र कुमार शर्मा,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पूराविद डॉ. नारायण व्‍यास के करकमलों से डॉ विद्यासागर उपाध्याय की अनुपस्थिति में उनकी उपाधि वेंकटेश रामकृष्णन ने ग्रहण किया। उक्त समारोह के संबंध में डॉ विद्यासागर उपाध्याय ने बताया कि उसी दिन रविंद्र भवन रिसड़ा कोलकाता में भोजपुरी का भाषा वैज्ञानिक सन्दर्भ और आठवीं अनुसूची विषयक व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में अपना उद्बोधन परिव्यक्त किया जो कई महीने पूर्व से निर्धारित था तथा विद्वान आयोजक मण्डल ने साहित्य श्री से सम्मानित किया जिससे उज्जैन में भौतिक उपस्थिति नहीं हो सकी लेकिन मानसिक रूप से हम प्रतिक्षण उपस्थित रहे।यह मेरा परम सौभाग्य है कि असंख्य कोटि ब्रह्माण्ड नायक भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली,सम्राट विक्रमादित्य,भर्तृहरि, भास, भवभूति, मत्स्येन्द्रनाथ, चण्डप्रद्योत, उदयन-वासवदत्ता, और महाकाल की नगरी कनकश्रृंगा, कुशस्थली, अवंतिका, उज्जयिनी आदि नामों से विख्यात मोक्षदायिनी क्षिप्रा के तट पर विद्यमान मौन तीर्थ हिन्दी विद्यापीठ उज्जैन में प्रकाण्ड विद्वानों ने मुझे वेद "महामहोपाध्याय " की मानद उपाधि के योग्य समझा।मैं आजीवन स्वयं को इसके योग्य प्रमाणित करने का प्रयास करूंगा। डॉ विद्यासागर उपाध्याय की इस विशिष्ट उपलब्धि पर विश्वविख्यात विद्वान पद्मश्री राजेश्वर आचार्य,आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी की प्रपौत्री विख्यात साहित्यकार डॉ मुक्ता जी,दूरदर्शन केन्द्र के निदेशक श्री राजेश कुमार गौतम जी,पाणिनी कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ नंदिता शास्त्री जी,पिलग्रिम्स पब्लिकेशन के निदेशक रामानन्द सनातनी,कबीर मठ के साधक संत कृष्णदेव,धर्म विज्ञान संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मालती तिवारी,वरिष्ठ साहित्यकार/आलोचक डॉ राम सुधार सिंह, प्रोफेसर विजयकिशोर नेपाल,स्वामी आनन्द स्वरुप,कैप्टन संतोष द्विवेदी आई ए एस,चंद्रिका प्रसाद तिवारी आई ए एस,राममनोहर मिश्रा आई ए एस,प्रदीप कुमार दुबे आई ए एस, डॉ नरेन्द्र नाथ चतुर्वेदी आई ए एस,सूर्यकुमार शुक्ल आई पी एस, युगल किशोर तिवारी आई पी एस,रंगनाथ पाण्डेय न्यायमूर्ति, डॉ रिंकी पाठक, महेंद्र भीष्म निबंधक सह प्रधान न्यायपीठ सचिव उच्च न्यायालय लखनऊ,डॉ सीमा मधुरिमा,वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफ़ेसर मिथिलेश कुमार त्रिपाठी,ख्यातिलब्ध कवयित्री मंजरी पाण्डेय, श्रीमती संगीता श्रीवास्तव, डॉ मालती तिवारी, डॉ अर्चना सिंह आदि ने बधाई दिया है।

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