गौरया दिवस ,पंछियों के संसार से बच्चों को कराएं परिचित, मिलेगा पुरस्कार

बलिया। प्रकृति से परिचय की शुरुआत के लिए बर्डवॉचिंग (पक्षी अवलोकन) एक बेहद ही आसान जरिया है। बर्डवॉचिंग के माध्यम से बच्चों को पड़ोस के पार्क, स्कूल के प्रांगण या निकटवर्ती तालाब के पास खुले वातावरण में जाने का मौका मिलता है। पक्षी वह खिड़की हैं जिससे झांककर हम प्राकृतिक की विचित्र दुनिया के दर्शन कर सकते हैं। शैलेन्द्र बलिया जनपद के ब्लॉक नगरा में सामाजिक विषय के ए आर पी हैं वे नेचर क्लब के संचालक भी हैं इसीलिए वे बच्चों को पक्षियों और प्रकृति के बारे में बताने का कोई मौका नहीं चूकते यदि बच्चों को दबाव और क्षेत्रफल के बीच संबंध समझाना हो तो वे पक्षियों का यह उदहारण देते हैं कि किस प्रकार कुछ पक्षी पानी पर तैरते कमल के पत्तों पर सहजता से इसलिए चल सकते हैं क्योंकि उनके विशाल पैर उनके वजन को बड़े क्षेत्र पर विस्तृत करते हैं। शैलंद्र का मानना है की विज्ञान के सिद्धांतों को यदि कक्षा की चारदीवारी के बाहर प्राकृतिक वातावरण में व्यावहारिक उदाहरणों द्वारा समझाया जाए तो विषय में बच्चों की दिलचस्पी स्वतः बढ़ जाती है।शैलेंद्र जैसे शिक्षक यह सिद्ध करते हैं कि पाठ्यक्रम के दबाव के बावजूद बच्चों को प्रकृति से जोड़कर एक सार्थक और प्रेरणापूर्ण अनुभव देना संभव है। अनेक वैज्ञानिक शोधों से यह स्पष्ट है कि बचपन में प्रकृति से परिचय होना न केवल बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है बल्कि इससे बच्चों में एकाग्रता, अध्ययन क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलता है। ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि प्रकृति के दर्शन के लिए हमें जंगलों में ही जाना पड़ेगा, लेकिन असल में यह काम इतना मुश्किल नहीं है। वास्तव में प्रकृति कीट-पतंगों, पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के रूप में हमारे आसपास निरंतर मौजूद है। प्रकृति से परिचय की शुरुआत के लिए बर्डवॉचिंग (पक्षी अवलोकन) एक बेहद ही आसान जरिया है।इस सफर को और भी दिलचस्प बनाने के लिए कुछ सुझाव हैं :स्कूल के प्रांगण और इसके आसपास मौजूद पक्षियों के बारे में अपनी जागरूकता बढ़ाएं। इसमें आपकी सहायता के लिए हिन्दी सहित कई भाषाओँ में उपयुक्त पोस्टर, पहचान पुस्तिकाएं, आवाजो का परिचय, और पक्षियों पर आधारित वेबिनार आदि सामग्री उपलब्ध है। (early-bird.in/interactive) छोटे बच्चों को पक्षियों और पर्यावरण के बारे में जागरूक बनाने के लिए कहानियां एक अत्यंत कारगर माध्यम हैं। मसलन, स्टोरी वीवर (storyweaver.org.in) एक ऐसा ऑनलाइन मंच है जिसपर हजारों पुस्तकें मुफ्त उपलब्ध हैं। इनका उपयोग आप बच्चों के साथ कथावाचन के लिए कर सकते हैं।पर्यावरण शिक्षण हेतु कलात्मक अभ्यासों का प्रयोग बच्चों के लिए काफी असरदार सिद्ध हुआ है। यूट्यूब पर कई वीडियो उपलब्ध हैं (bit.ly/art-activities) जिनमें खासतौर पर बच्चों के लिए पक्षियों की चित्रकारी और अन्य अभ्यास सुझाए गए हैं। शिक्षण की प्रक्रिया को मजेदार बनाने के लिए ज्ञानवर्धक खेल एक बहुमूल्य साधन हैं। पर्यावरण शिक्षण के लिए खासतौर बच्चों के लिए विकसित अनेकों मजेदार खेल व सहज अभ्यास अर्ली बर्ड (early-bird.in/hindi) और (naturevidya.org) आदि वेबसाइट पर निःशुल्क उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल आप बच्चों में प्रकृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।यदि आपने बच्चों को पक्षियों से परिचय कराने के लिए कभी इन विधियों का उपयोग किया हो तो हमें 9889828426, 20 मार्च 2024 तक व्हाट्स एप पर भेजे श्रेष्ठ 3 कार्यों को गौरया संरक्षक व प्रथम स्थान पर 1100, द्वितीय पर 700 व तृतीय को 500 रुपए से पुरस्कृत किया जाएगा।नोट: शैलेंद्र प्रताप यादव शिक्षक व ब्लॉक नगरा जनपद बलिया उत्तर प्रदेश में सामाजिक विषय के एआरपी व पर्यावरण विद है।कोरोना काल 5 सितंबर 2020 से प्रतिदिन पौधारोपण का आजीवन संकल्प लिया जिसका आज 1232 दिन हो गया उन्होंने पर्यावरण संरक्षण व तमसा नदी मऊ के लिए मऊ से वाराणसी तक पद यात्रा मऊ से लुंबनी नेपाल तक साइकिल यात्रा तमसा नदी के लिए अंशन के साथ 1200 से अधिक शिक्षण व सामाजिक संस्थाओं पर जाकर प्रत्यक्ष रूप से जागरुक किया है।

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