चौहान समाज महासंघ के केंद्रीय कार्यालय का हुआ उद्घाटन,राजनीतिक भागीदारी हेतु बैठक कर बनाई रणनीति

सिकन्दरपुर,बलिया। सिकन्दरपुर क्षेत्र अन्तरगीत बिच्छीबोझ गांव चौहान समाज महासंघ के नवस्थपित केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन ससमारोह किया गया। साथ ही साथ गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर राष्ट्रगान के साथ झंडा रोहण किया गया। कार्यालय के उद्घाटन के उपरांत चौहान समाज महासंघ द्वारा स्थानीय डाक बंगले में एक बैठक का भी आयोजन किया गया जिसमें स्वजतियों के आर्थिक, सामाजिक,शैक्षिक स्थिति एवं अन्यसमस्याओं पर विस्तृत रूप से चर्चा किया गया ।साथ ही यह निर्णय लिया गया कि प्रायः सभी क्षेत्रों में उनके उन्नयन हेतु प्रयास किया जयेगा।बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया की 2024 के चुनाव में चौहान समाज को भागीदारी देने के साथ ही एक विशाल जनसभा आयोजन करने का निर्णय लिया गया। विभिन्न वक्ताओं द्वारा ग्राम करौंदी थाना भीमपुरा जनपद बलिया में बीतें दिनों चौहान समाज के एक परिवार को अन्यत्र लोगों द्वारा प्रताड़ित व मारपीट करने की घटना को लेकर स्थानीय पुलिस द्वारा अभी तक पीड़ित की तरफ से मुकदमा दर्ज न किए जाने की कड़े शब्दों में घोर निंदा की गई।बैठक को संबोधित करते हुए बांसडीह विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक शिवशंकर चौहान ने कहा कि प्रदेश की 80 लोकसभाओं में चौहान समाज के 157000 मतदाता है। जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के हिसाब से उत्तर प्रदेश के विधानसभा में 25 सीट की हिस्सेदारी तथा लोकसभा में 6 सीट की हिस्सेदारी तथा एमएलसी में 12 सीट की हिस्सेदारी बनती हैं। कहा कि आज तक राजनीतिक दलों ने चौहान समाज को सिर्फ वोट बैंक की तरह प्रयोग किया है, जिससे यह समाज आंदोलित है। कहा कि बहुत जल्द विधानसभा क्षेत्र सिकन्दरपुर अंतर्गत चेतन किशोर खेल के मैदान में चौहान समाज के लोग भारी संख्या में इकट्ठा होकर शक्ति प्रदर्शन करेंगे। बताया कि चौहान समाज अपनी राजनीतिक भागीदारी न मिलने पर तथा वक्त आने पर अपनी औकात दिखाने व बताने का भी काम करेगा।इस दौरान मुख्य रूप से पूर्व चेयरमैन सिकन्दरपुर प्रयाग चौहान, महेंद्र चौहान, डॉ नसीम चिश्ती, भरत चौहान, नीर प्रताप चौहान, लाल बहादुर चौहान, रमाशंकर चौहान, लक्ष्मी चौहान, देवेंद्र चौहान, शिवचरण चौहान, राधेश्याम चौहान, विजय बहादुर चौहान, इंद्रजीत चौहान, रामाश्रय चौहान, हृदय चौहान, राजेश चौहान व हरेराम चौहान समेत सैकड़ो की संख्या में स्वजातीय मौजूद रहे।

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