सिकन्दरपुर,बलिया (विनोद कुमार)। गांधी जयन्ती के अवसर पर सिकन्दरपुर में आयोजित विचार गोष्ठी कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सांसद रविन्दर कुशवाहा ने बताया कि गांधी जी ने कहा था कि अहिंसा वीरों का लक्षण और आत्मा का बल है । कायरता कभी धर्म नही हो सकती । आत्मबल के सामने तलवार का बल तृणवत है । गांधी ने अहिंसा एवं सत्याग्रह को आजादी की लड़ाई का हथियार बनाकर अंग्रेजी साम्राज्य से भारत को मुक्ति दिलाई थी । गांधी के अहिंसा एवं सत्याग्रह के सिद्धान्त की प्रासंगिकता भारतीय राजनीति में शाश्वत बनी रहेगी । कुशवाहा ने गांधी जी के विचारों को जीवन में आत्मसात करने की अपील करते हुए कहा कि सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है । विधायक केतकी सिंह ने गांधी के जीवन के बहुत सारे उदाहरण देते बताया कि उनकी कथनी एवं करनी में एकरूपता थी , सर्वधर्म समभाव , सामाजिक सदभाव एवं दलित उद्धार के लिए जीवन भर प्रयत्नशील रहे । पूर्व मंत्री राजधारी ने बताया कि स्वदेशी एवं स्वावलम्बन गांधी का मूल मंत्र था , चर्खा को आजादी की लड़ाई का मुख्य हथियार बनाकर स्वदेशी भावना के बल पर अंग्रेजी साम्राज्य को आर्थिक चुनौती दी थी । गांधी ने सत्य एवं अहिंसा को व्यक्तिगत जीवन के साथ - साथ जन सामान्य में उतार कर देश में उस जन आन्दोलन का मजबूत हथियार बनाया । गोष्ठी में प्रमुख रूप से प्रोफेसर डा ० राजीव चौधरी , डा ० विद्यासागर उपाध्याय , संजय राय , मोहनकान्त राय , अखिलेश राय , सुरेश सिंह , रियाज अहमद , अरविन्द राय , भुवाल सिंह , डा आशुतोष गुप्ता, गनेश सोनी , शोभन राजभर , गिरिजेश मिश्र , दयाशंकर भारती , इकरामुल , ओमप्रकाश यादव , दिनेश सिंह , सुदामा राय , शशि दुबे आदि ने अपने विचार प्रकट रखा गोष्ठी की अध्यक्षता वैजनाथ पाण्डेय एवं संचालन भोला सिंह ने की ।